शुक्रवार, जुलाई 26, 2024
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Punjab में हुआ एक युग का अंत, नहीं रहे 5 बार के CM Prakash Singh Badal

 

 

95 वर्षीय शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रमुख प्रकाश सिंह  (Prakash Singh Badal)  बादल ने मंगलवार (25 अप्रैल) की रात करीब आठ बजे मोहाली के एक निजी अस्पताल में आखिरी सांस ली।

राष्ट्रीय राजनीति में प्रकाश सिंह बादल (Prakash Singh Badal) का कद भुलाया नहीं जा सकता। पंजाब के बठिंडा जिले के बादल गांव के सरपंच बनने के साथ प्रकाश सिंह बादल के राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई थी। 1927 में जन्मे प्रकाश सिंह बादल (Prakash Singh Badal) ने अपनी सियासी पारी उसी साल शुरू की थी जब देश आजाद हुआ था। इसके बाद वह पंजाब के पांच बार के मुख्यमंत्री बने। वे एक ऐसे जननेता थे जिन्होंने 1969 से 1992 तक किसी भी विधानसभा चुनाव में हार का मुंह तक नहीं देखा था। इसके बाद 1992 में उन्होंने खुद ही चुनाव न लड़ने का एलान कर दिया था।

प्रकाश सिंह बादल (Prakash Singh Badal) को सिख राजनीतिक का हीरो ऐसे ही नहीं कहा जाता था। प्रकाश सिंह बादल हालांकि सिखों का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी अकाली दल के नेता थे। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ गठजोड़ करके सत्ता हासिल की राजनीति के गलियारों में उनके कई किस्से काफी मशहूर हैं। चाहे विपक्षी दलों के लिए अपने ही घर के बाहर तंबू लगवा देना हो या विपक्ष के धरने पर पहुंचकर खुद उनसे बातचीत करना हो।

ज्ञानी करतार सिंह को मानते थे अपना राजनीतिक गुरु वह कौन थे ?

शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal )  का शुरू से ही संघर्ष के साथ गहरा रिश्ता रहा है। बादल को पार्टी का अनुशासित और वफादार कैडर माना जाता था। 1980 के दशक में लंबे उग्रवाद तक उन्होंने बहुत कुछ झेला। वह विभिन्न मोर्चों (आंदोलनों) के लिए जेल भी गए थे. बादल के बारे में कहा जाता है कि वह बिना झिझक के फैसले लेने में हमेशा आगे रहे थे। प्रकाश सिंह बादल (Prakash Singh Badal) ज्ञानी करतार सिंह को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे।

भारत की दूसरी सबसे पुरानी पार्टी

शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal ) कांग्रेस के बाद दूसरी सबसे पुरानी पार्टी है जिसका गठन 14 दिसबंर 1920 (102 साल पहले) को  हुआ था।

आंदोलनों को लेकर गए थे जेल 

राजनीति में बादल की यात्रा स्वतंत्र भारत के साथ शुरू हुई, जब उन्हें 20 साल की उम्र में सरपंच के रूप में चुना गया. 1980 के दशक में लंबे उग्रवाद तक उन्होंने बहुत कुछ झेला। वह विभिन्न मोर्चों (आंदोलनों) के लिए जेल तक गए. संघवाद का कट्टर पक्षधर होने के बावजूद, उन्होंने कभी भी राज्य में उग्रवाद की चरम सीमा के दौरान भी भारत विरोधी रुख नहीं अपनाया।

पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत का नारा

बादल ने शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal )  को भी पंथिक से पंजाबी पार्टी में बदलने का काम किया था, जब 1996 के मोगा घोषणापत्र में उन्होंने पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत का नारा दिया था। इसके बाद पार्टी ने बड़ी संख्या में हिंदू उम्मीदवारों को मैदान में उतारा. उन्हें 2007 और 2012 में पार्टी की लगातार दो जीत का श्रेय दिया गया, जो राज्य के चुनावी इतिहास में अभूतपूर्व था।

बादल के निधन पर प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी अमित शाह, राजनाथ सिंह, राहुल गांधी, योगी आदित्यनाथ, भगवंत मान, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव और अशोक गहलोत समेत तमाम दिग्गज नेताओं ने दुख जताया है।प्रकाश सिंह बादल का गुरुवार (27 अप्रैल) को अंतिम संस्कार किया जाएगा। साथ ही गृह मंत्रालय कि तरफ से देश में दो दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है।

 

 

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