शनिवार, दिसम्बर 14, 2024
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BSP के सीटो पर अखिलेश यादव लगाएंगे सेंध

सपा महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के रायबरेली कॉलेज में दलित नेता कांशीराम की मूर्ति अनावरण के बाद यूपी का सियासी तापमान गर्म है. बसपा सुप्रीमो मायावती और उनके भतीजे आकाश आनंद ने मान्यवर की प्रतिमा लगाने को लेकर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव पर निशाना साधा है. मायावती ने तो सपा पर हमला बोलते हुए लखनऊ के गेस्ट हाउस कांड का जिक्र कर दिया है. मायावती ने कहा कि 1995 में लखनऊ का गेस्ट हाउस कांड नहीं हुआ होता तो देश में आज सपा और बसपा की सरकार होती. मायावती ने सपा पर दलित महापुरुषों को अपमान करने का आरोप लगाया है. सपा के बड़े नेताओं ने फिलहाल मायावती के इस हमले पर चुप्पी साध ली है. वहीं मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने कांशीराम का एक वीडियो शेयर किया है.

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को रायबरेली में कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण किया और कहा कि मुलायम सिंह ने ही पहले उन्हें लोकसभा भेजा. अखिलेश ने इस दौरान बीएसपी पर भी निशाना साधा और कहा कि जो काम उन्हें करना चाहिए था, वे नही किए. सपा कर रही है तो उन्हें तकलीफ हो रही है.

अखिलेश के भाषण के बाद सपा के सोशल मीडिया हैंडल से एक ट्वीट किया गया, जिसमें लिखा था- बीएसपी चीफ बहन जी ने दलितों को बाबा साहब के द्वारा दिए गए संवैधानिक अधिकारों के बदले बीजेपी से सपा को हराने का सौदा किया है. कांशीराम बीएसपी के संस्थापक थे और वे 2003 तक बीएसपी के अध्यक्ष पद पर रहे. इस दौरान बीएसपी दलितों की बीच काफी पैठ बनाने में सफलता हासिल की. मायावती को राजनीति में लाने का श्रेय भी कांशीराम को ही जाता है. कांशीराम पार्टी संगठन में काडर को तरजीह देते थे और इसे मिशन नाम दिया था. यही वजह है कि लगातार हार के बावजूद बीएसपी का काडर मजबूत है. मायावती को डर है कि कांशीराम के जरिए सपा काडर बेस्ड वोटरों में भी सेंध न लगा ले.

2024 लोकसभा चुनाव अभी अखिलेश की बड़ी परीक्षा है. नगर निकाय का चुनाव भी सामने है. हालांकि, अखिलेश की पूरी नजर 2024 पर ही है. सपा पहले ही साफ कर चुकी है कि किसी बड़े दल से गठबंधन नहीं किया जाएगा. यानी सपा अधिकांश सीटों पर खुद चुनाव लड़ेगी. अखिलेश 2022 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी के दबदबे वाली कौंशाबी, गाजीपुर, घोसी और अंबेडकरनगर में बढ़िया परफॉर्मेंस की थी. हालांकि, पश्चिमी यूपी में मायावती के वोटर्स बीजेपी में शिफ्ट हो गए थे.

यूपी में दलित वोटर्स करीब 21 फीसदी है, जिसमें 13 फीसदी जाटव हैं. मायावती को पश्चिमी यूपी में जाटव के वोट भरपूर मिले थे. 2024 में अगर बीएसपी और मायावती मजबूती से चुनाव नहीं लड़ती है तो इन वोटरों में सेंध लग सकता है. घोसी, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, गाजीपुर और लालगंज की लोकसभा सीटों पर बीएसपी के अभी सांसद हैं, लेकिन अखिलेश के इस दांव से यहां के समीकरण बदल सकते हैं. इन जिलों में बीजेपी को भी 2022 में झटका लगा था.

कांशीराम के सहारे सपा सीधे बीएसपी काडर में सेंध भले न लगा पाए, लेकिन उसके बाकी बचे नेताओं को जरूर इस दांव से तोड़ सकती है. अंबेडकरनगर मायावती का गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन इस बार अखिलेश ने यहां मजबूत मोर्चेबंदी कर दी है. अखिलेश की नजर पश्चिमी के सहारनपुर, अमरोहा और बिजनौर सीट पर भी है. यहां पर बीएसपी ने जीत दर्ज की थी. अखिलेश यादव ने रायबरेली में कहा कि बीएसपी हमारे साथ आकर 10 सीट जीत गई, लेकिन अब उनके नंबर वन नेता आ गए हैं और अब उन्हें फिर जीरो मिलेगा.

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