शनिवार, जुलाई 27, 2024
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Amrish puri के fan थे Atal Bihari Vajpayee और Indira Gandhi, जानिए उनकी कहानी

Amrish puri bollywood के एक जाने माने अभिनेता रह चुके है। उनका जन्म 22 june 1932 में हुआ था। और उनकी मृत्यु 12 january 2004 को हुई थी, मृत्यु का कारण brain hemorrhage था।  अभिनेता Madan Puri के छोटे भाई Amrish puri हिन्दी फिल्मों की दुनिया का एक प्रमुख स्तंभ रहे हैं। अभिनेता के रूप निशांत, मंथन और भूमिका जैसी फ़िल्मों से अपनी पहचान बनाने वाले puri ने बाद में खलनायक के रूप में काफी प्रसिद्धी पायी।

Amrish puri ने सदी की सबसे बड़ी फिल्मों में कार्य किया। उनके द्वारा Shahrukh Khan की hit फिल्म “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे” में निभाये गए “बाबूजी” के किरदार की प्रशंसा सर्वत्र की जाती है। उन्होंने मुख्यत फिल्मो मे Villain का पात्र निभाते देखा गया है। 1987 में बनी Anil Kapoor की मिस्टर इंडिया में उन्होंने “मोगैम्बो” का किरदार निभाया जो कि फिल्म का मुख्य खलनायक है। इसी फिल्म में Amrish का dialogue “मोगैम्बो खुश हुआ” फिल्म-जगत में प्रसिद्ध है।

Amrish puri ने अपनी शुरुआती पढ़ाई Punjab से की। उसके बाद वह Shimla चले गए। Shimla के B.M. College से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने अभिनय की दुनिया में कदम रखा। शुरुआत में वह रंगमंच से जुड़े और बाद में फिल्मों का रुख किया। उन्हें रंगमंच से उनको बहुत लगाव था। एक समय ऐसा था जब Atal Bihari Vajpayee और  Indira Gandhi जैसी हस्तियां उनके नाटकों को देखा करती थीं। पद्म विभूषण रंगकर्मी Abraham Alkaji से 1961 में हुई ऐतिहासिक मुलाकात ने उनके जीवन की दिशा बदल दी और वे बाद में भारतीय रंगमंच के प्रख्यात कलाकार बन गए।

puri myelodysplastic syndrome से पीड़ित थे, ये एक प्रकार का रक्त कैंसर है और 27 दिसंबर 2004 को हिंदुजा अस्पताल में भर्ती होने के बाद उनकी स्थिति के लिए मस्तिष्क की सर्जरी हुई थी। उनकी स्थिति में मस्तिष्क के मस्तिष्क क्षेत्र में जमा हुए रक्त को बार-बार हटाने की आवश्यकता थी और कुछ समय बाद 12 जनवरी 2005 को लगभग 7:30 बजे उनकी मृत्यु से कुछ समय पहले वे कोमा में चले गए।

लोगों द्वारा अंतिम सम्मान देने के लिए उनका पार्थिव शरीर उनके आवास पर लाया गया और उनका अंतिम संस्कार 13 जनवरी 2005 को शिवाजी पार्क श्मशान घाट में किया गया। उन्हे कई awards से सम्मानित भी किया गया था।

 

नॉमिनेशन

1990: सर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार – त्रिदेव

1992: सर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार – सौदागर

1993: सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार – मुस्कानहाट

1993: सर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार – तहलका

1994: सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार – गर्दिश

1994: सर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिए फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार – दामिनी

1996: सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार – दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे

1996: सर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार – करण अर्जुन

1999: सर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिए फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार – कोयला

2000: सर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार – बादशाह

2002: सर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार – गदर: एक प्रेम कथा

2002: नकारात्मक भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए ज़ी सिने अवार्ड – गदर: एक प्रेम कथा

 

 

 

 

 

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