सोमवार, दिसम्बर 4, 2023
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सुप्रीम कोर्ट का फैसला,जल्लीकट्टू पर नहीं लगेगा बैन

जल्लीकट्टू 2500 साल पुराना है इसका इतिहास आज इस पर सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र में होने वाली बैलों की परंपरागत दौड़ पर रोक नहीं लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय पशु क्रूरता अधिनियम में तमिलनाडु सरकार की ओर से किए गए संशोधन की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है।

यानी महाराष्ट्र में बैलगाड़ी दौड़, कर्नाटक में कांबाला और तमिलनाडु में जल्लीकट्टू का परंपरागत खेल जारी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट में पशु क्रूरता अधिनियम में बदलावों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी। अदालत ने याचिकाएं खारिज कर दीं। तमिलनाडु ने कानून में यह बदलाव 2014 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद किया था, जिसमें अदालत ने जल्लीकट्टू और इसी तरह के दूसरे खेलों पर रोक लगा दी थी।

इस मामले पर जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच सुनवाई कर रही थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कानून में संशोधन और जल्लीकट्टू पर क्या टिप्पणी की

कानून संशोधन: सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में पशु कल्याण विभाग और ए नागराज के केस में जल्लीकट्टू पर बैन लगाया था। इसके बाद तमिलनाडु सरकार ने कानून में संशोधन किया। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने गुरुवार को कहा- कानून में बदलाव 2014 में नागराज केस में दिए गए फैसले के खिलाफ नहीं हैं। उस केस में कानून के जो खराब पहलू थे, वह बदलावों के बाद हट गए। इन बदलावों के चलते वास्तव में पशुओं को होने वाला दर्द और यातना कम हुई है। इन बदलावों को राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिली थी। इसमें भी गलती नहीं हो सकती है।जल्लीकट्टू: हम इस बात से आश्वस्त हैं कि तमिलनाडु में जल्लीकट्टू पिछली एक सदी से होता आ रहा है। क्या तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत में इसे शामिल किए जाने पर और ज्यादा विस्तार से चर्चा की जरूरत है? हम यह नहीं कर सकते हैं। जब विधानसभा ने यह घोषित कर दिया कि जल्लीकट्टू तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत है, तब हम इस पर कोई अलग नजरिया नहीं रख सकते हैं। इस पर फैसला करने के लिए विधानसभा ही सबसे अच्छी जगह है।

भीड़ के बीच सांड को कंट्रोल करने का खेल है जल्लीकट्टू

जल्लीकट्टू के खेल में खिलाड़ियों को खुले सांड को कंट्रोल करना होता है। जल्लीकट्‌टू को एरु थझुवुथल और मनकुविरत्तु के नाम से भी जाना जाता है। यह खेल पोंगल त्योहार का एक हिस्सा है। यह एक ऐसा खेल है जिसमें भीड़ के बीच एक सांड को छोड़ दिया जाता है और खिलाडी उसे कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं।

 

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