सिकंदराराऊ की गलियों से स्टार्टअप की उड़ान: “Shipxpeed”

बना छोटे व्यापारियों की डिलीवरी लाइफलाइन

सिकंदराराऊ/हाथरस  (उत्तर प्रदेश)।
जहाँ ज़्यादातर युवा 20 की उम्र तक करियर की तलाश में होते हैं, वहीं सिकंदराराऊ के बाशु उपाध्याय ने खुद एक रास्ता बना डाला — और वो भी ऐसा जो अब दूसरों के सफर को भी आसान बना रहा है। उनका स्टार्टअप “Shipxpeed” आज एक करोड़ रुपये की वैल्यूएशन को छू चुका है।

🎒 स्कूल बैग से लेकर डिलीवरी बैग तक का सफर

बाशु का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं। कभी हाथ में प्रचार की पर्चियाँ थीं, तो कभी सोशल मीडिया पर लोकल दुकानों की ब्रांडिंग। लेकिन सपने बड़े थे — और नज़रिया बिलकुल स्पष्ट।

“छोटे व्यापारियों की सबसे बड़ी समस्या है आसान और भरोसेमंद डिलीवरी। मैं चाहता था कि तकनीक उनके लिए भी उतनी ही सहज हो, जितनी किसी बड़े ब्रांड के लिए,” बाशु बताते हैं।

🌀 Shipxpeed: एक प्लेटफॉर्म, कई समाधान

Shipxpeed कोई साधारण लॉजिस्टिक्स ऐप नहीं है। यह एक मल्टी-कूरियर एग्रीगेटर है, जो Delhivery, Ekart, Shadowfax और XpressBees जैसे नेटवर्क से जुड़ा है। इसका मकसद है — छोटे शहरों और कस्बों में भी डिजिटल डिलीवरी इकोसिस्टम को मजबूत बनाना।

“आप एक मोबाइल से पूरा माल भेज सकते हैं, ट्रैक कर सकते हैं, और सबसे सस्ती दर में सही कूरियर चुन सकते हैं,” यह USP छोटे व्यापारियों के बीच Shipxpeed को खास बना रही है।

📱 स्टार्टअप नहीं, अब यह एक आंदोलन है

बाशु की सोच एक स्टार्टअप से कहीं आगे निकल चुकी है। वह युवाओं को टेक्नोलॉजी और डिजिटल कारोबार में आने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अगले चरण में Shipxpeed गांवों के किराना स्टोर और घरेलू व्यापारियों को सीधा जोड़ने की योजना बना रहा है।

🌱 “गांव से ग्लोबल” का ज़िंदा उदाहरण

सिकंदराराव जैसे छोटे कस्बों से निकली यह कहानी हमें बताती है —
“सपने भी छोटे शहरों में जन्म लेते हैं, और अगर हौसला हो, तो दुनिया तक पहुँच जाते हैं।”