शुक्रवार, जुलाई 26, 2024
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सचिन पायलट की सब्र का बांध टूटा, बना सकते हैं नई पार्टी

जनवरी की ठंड में कांग्रेस में राजनीति गर्मा गई है। पार्टी में भारी उथल पुथल मची है। जिसके बारे में पार्टी न तो सबके सामने कुछ कह सकती है और न ही इसे छुपा कर रख सकती है। कांग्रेस में गर्माए सियासी पारे के पीछे वजह है सचिन पायलट। पिछले कुछ समय तक राजस्थान की राजनीति शांत थी लेकिन अब लगता है कि ये तूफान से आने के पहले की खामोशी थी। सचिन पायलट अब नाराज हो गए हैं। हाईकमान से आश्वासन तो मिला लेकिन आगे काम नहीं हुआ।

अब सचिन पायलट की सब्र का बांध टूट गया है। पायलट सक्रिय हो चुके हैं और नई उड़ान भरने की तैयारी में है। पायलट की सक्रियता से कांग्रेस में घबराहट का माहौल है। पायलट ने अपनी सभाओं को भीड़ जुटाकर न सिर्फ विरोधी खेमे और राष्ट्रीय नेतृत्व को ताकत दिखाने की कोशिश की है। इससे सचिन के समर्थकों में भी काफी उत्साह है। वे भी सचिन के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं ताकि सचिन जो चाहते हैं उन्हें वो मिल जाए।

सचिन की नाराजगी की सबसे बड़ी वजह है कि कोई महत्वपूर्ण पद नहीं मिलना। इसको लेकर लगातार मांगे उठती रही। पहले कांग्रेस हाईकमान चाहता था कि पायलट को सीएम बनाया जाए। इसीलिए बीते सितंबर माह में दिल्ली से ऑब्जर्वर भेजे गए थे, लेकिन उस समय विधायकों के इस्तीफों से खड़े हुए सियासी संकट के कारण फैसला टल गया। पायलट के सीएम बनने की संभावनाएं लगभग खत्म हो चुकी हैं।

पायलट समर्थक विधायक का कहना है कि गहलोत खेमा पायलट के नाम पर पहले राजी नहीं थी और आगे भी राजी नहीं होगा। गहलोत के बयानों से यह साफ झलकता है कि वे किसी भी स्थिति में पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनने देंगे। बजट सत्र के बाद आचार संहिता लगने में मात्र छह माह का समय बचेगा।

अब सचिन गहलोत के पास केवल कुछ ही ऑप्शन हैं। पहला उन्हें धैर्य रखना होगा। अगर वे सब्र रखते हैं तो आने वाले समय में वह ही कांग्रेस के लीडर बनेंगे। वहीं दूसरी संभावना ये है कि कांग्रेस हाईकमान यह फैसला ले सकता है कि पायलट को अगली बार के लिए कमिटमेंट करके मना लें। चुनाव से पहले पायलट को प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान देकर टिकट वितरण के लिए फ्री हैंड दे दिया जाए। वहीं कांग्रेस में अंदरखाने यह चर्चा जोरों पर है कि पायलट कांग्रेस से अलग राह चुन सकते हैं। कांग्रेस के ऐसे लोग जो किसी भी गुट से जुड़े नहीं है, वे यह भी संभावना जताते हैं कि पायलट नई पार्टी बनाकर चुनाव में उतर सकते हैं। अगर पायलट ऐसा करते हैं तो राजस्थान में बमुश्किल एक साथ पड़ी कांग्रेस बिखर जाएगी और बीजेपी भी इसका फायदा उठा सकती है। ऐसे में कांग्रेस हाईकमान को जल्द ही कोई बड़ा फैसला लेना होगा ताकि पायलट की नई उड़ान से सरकार बचाई जा सके।

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