शिंजो आबे: भारत की तरक्की में शिंजो आबे का महत्वपूर्ण योगदान

जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे नहीं रहे। वह जापान के नारा शहर में एक चुनाव सभा में भाषण दे रहे थे। तभी एक हमलावर ने उन्हें गोली मार दी, हमलावर ने उन्हें दो गोली मारी जिसमें से एक गोली उनके सीने में लगी। सीने में गोली लगने की वजह से उन्हे कार्डियक अरेस्ट आया। उन्हें तुरत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। शिंजो आबे ने लम्बे समय तक जापान की सत्ता पर राज किया। वह जापान के सबसे लम्बे समय तक प्रधानमंत्री रह चुके है। शिंजो आबे का भारत के साथ भी गहरा नाता था। शिंजो आबे जापान के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने भारत का सबसे ज्यादा दौरा किया। उन्होंने 65 साल की उम्र में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ उनकी अलग ही केमिस्ट्री थी। उन्हें पिछले वर्ष भारत का नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से नवाजा गया था। शिंजो आबे गणतंत्र दिवस समारोह में चीफ गेस्ट भी रह चुके है।

भारत के लिए शिंजो आबे का योगदान
1. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का पक्ष लेकर साथ खड़ा होना हो या संकट के समय भारत की मदद करना हो, शिंजो   आबे की अगुवाई में जापान ने हमेशा भारत का साथ दिया।
2. इंडो पैसिफिक क्षेत्र में पार्टनरशिप के साथ, शिंजो आबे भारत और जापान के संबंधों को नई ऊंचाई पर ले गए।
3. भारत में पहला बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट महाराष्ट्र की राजधानी और गुजरात के अहमदाबाद के बीच तैयार हो रहा है. यह       प्रोजेक्ट जापान के सहयोग से बन रहा है।
4. भारत में मेट्रो प्रोजेक्ट शुरू करने में भी अहम भूमिका निभाई थी और बाद में भारत ने खुद से ही मेट्रो का विस्तार     किया और नई मेट्रो रेल लाइनों का निर्माण किया.
5. शिंजो आबे के दौर में भारत और जापान के रिश्ते नई आयाम पर भी पहुंचे । इस दौरान काशी को क्योटो के तर्ज पर   विकसित करने के समझौते से लेकर बुलेट ट्रेन परियोजना, न्यूक्लियर एनर्जी, इंडो पेसिफिक रणनीति और एक्ट ईस्ट     पॉलिसी को लेकर दोनों देशों के बीच अहम समझौते हुए।
6. चीन के साथ डोकलाम और गलवान विवाद पर भी आबे ने भारत के पक्ष का समर्थन किया और जापान ने चीन को     यथास्थिति बनाए रखने की भी नसीहत दी। भारत और जापान की दोस्ती का मजबूत उदाहरण, चीन की नापाक हरकतों   के समय दिखा। जब 2014 में चीन ने डोकलाम में विवाद शुरू किया तो भारत के साथ जापान मजबूती से खड़ा रहा।
7. 2020 में गलवान घाटी के विवाद के समय भी जापान ने चीन को नसीहत दी और उससे यथास्थिति में किसी तरह की   बदलाव नहीं करने की चेतावनी दी।
इस घटना पर प्रधानमंत्री ने दु:ख जताया, साथ ही भारत सरकार ने एक दिन का राष्ट्रीय शोक की घोषणा की।