प्रभु श्री राम का चरित्र भारतीय संस्कृति के आदर्शवाद का उज्जवल प्रतीक – कैलाश कूलवाल
सिकन्दराराऊ/हाथरस ।
विश्व हिन्दू परिषद द्वारा रामोत्सव कार्यक्रम का आयोजन बगिया बारहसैनी स्थित राधाकृष्ण मंदिर पर किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ कार्यक्रम अध्यक्ष ब्रजकिशोर सर्राफ,भानू प्रताप ,जिलाध्यक्ष-विहिप,कैलाश कूलवाल,जिला उपाध्यक्ष विहिप ,प्रवीण खंडेलवाल जिला मंत्री विहिप,कपिल जिला संगठन मंत्री विहिप, हर्षित विभाग सह-संयोजक, बजरंगदल द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता ब्रजकिशोर सर्राफ ने संचालन पवन वार्ष्णेय प्रखंड मंत्री द्वारा किया गया।
मुख्य वक्ता कैलाश कूलवाल ने अपने उदबोधन में कहा कि प्रभु श्री राम का जीवन अपने चिंतन और चरित्र से मनुष्य की संपूर्ण गरिमा को चरितार्थ करता है मनुष्य किस स्तर तक विकसित हो कि उसमें भागवत चेतन प्रकट हो सके इस प्रश्न का उत्तर प्रभु श्री राम के चरित्र में मिलता है।
राम के राज्य में रमणीयता ही रमणीयता सर्वत्र नजर आती है प्रत्येक कार्य यज्ञ की भावना से संपन्न होता था असत्य, अधर्म , अन्याय,अत्याचार आतंक आदि आसुरी प्रवृत्तियों के लिए कहीं कोई स्थान नहीं था। पारस्परिक प्रेम,सद्भावना और सहयोग से प्रेरित होकर सभी लोग अपने- अपने कार्य को अपनी योग्यता के अनुसार करते रहते थे प्रत्येक व्यक्ति सार्वजनिक हित की भावना से ही प्रत्येक कार्य को करने लगता था।
प्रभु श्री राम का चरित्र भारतीय संस्कृति के आदर्शवाद का उज्जवल प्रतीक बन गया है। माता,पिता गुरु, प्रजा की आज्ञा के अनुसार कार्य करते हैं बड़ों की आज्ञा मानते हैं छोटों को प्यार से प्रसन्न रखते हैं श्रेष्ठ जनों की इच्छा के अनुसार कार्य करते हैं राज्य मिलने की प्रशंसा नहीं होती है वन जाने का दुख नहीं होता है सदा सम रहते हैं समता का व्यवहार रखते हैं। प्रभु श्री राम अपनी अच्छी मित्रता के लिए भी जाने जाते हैं उन्होंने जिससे भी मित्रता की उससे अपना रिश्ता पूरे मन से निभाया महान राजा होते हुए भी प्रभु श्री राम ने हर वर्ग,जाति के व्यक्तियों के साथ मित्रता की केवट हो या सुग्रीव निषादराज या विभीषण सभी मित्रों के लिए भगवान राम ने कई बार संकट झेले ओर अपनी मित्रता का परिचय दिया।
मुख्य रूप से विश्व हिंदू परिषद प्रखंड के सभी पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता ओर नगर के संभ्रांत लोग उपस्थित रहे।