रक्षासूत्रब्रह्माकुमारीज के आनन्दपुरी केन्द्र
पर भी सौंपा जायेगा रक्षासूत्र
हाथरस।
आज के समय की जरूरत है बहनों की रक्षा का पर्व रक्षाबन्धन ….
बहिन द्वारा भाई को राखी बाँधना पवित्रता का प्रतीक है। ब्राह्मण को सनातन धर्म का प्रतिनिधि माना गया था इसलिए वे रक्षासूत्र बांधते थे बाद में धर्म अर्थात् धारणा वह भी पवित्रता की धारणा से इसे जोड़कर बहिन द्वारा भाईयों को राखी बाँधी गयी। समयान्तर में यह प्रचलन बढता ही गया। परन्तु इसके पीछे कल्प पूर्ववत परमपिता परमात्मा शिव द्वारा सतयुग और कलियुग के मध्य के कल्याणकारी पुरुषोत्तम संगमयुग पर प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा पुनर्जन्म दिया गया और वह सत्य गीताज्ञान सुनाया जिससे द्विज अर्थात् ब्राह्मण जिसका दूसरा जन्म हुआ हो कहलाये।
जिनके द्वारा पवित्रता की धारणा, धर्म की पालना करने के लिए रक्षासूत्र बंधवाये गये, उस पवित्रता की धारणा से कृतयुग अर्थात् सतयुग की स्थापना हुई। इसी पवित्र परम्परा का निर्वहन प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, आनन्दपुरी कालोनी की बहिनों द्वारा बी0के0 शान्ता बहिन के सानिध्य में किया जा रहा है।
इसी के अन्तर्गत कल पुलिस अधीक्षक विक्रान्त वीर सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक प्रकार कुमार, वनाधिकारी मनोज कुमार, पुलिस लाइन के आर0आई0 सुरेश पाल सिंह, ए0आर0टी0ओ0 नीतू सिंह, एस0एच0ओ0 सासनी को कोरोना महामारी के चलते पवित्रता का प्रतीक रक्षासूत्र सौंपा गया।
नारी तो शक्ति है नारी चाहे पत्नी के रूप में, चाहे पुत्री के रूप में हो या बहिन के रूप में नारी तो सदा ही आदरणीय है। नारी तो परमगुरू भी मानी गई है। अब बहिन चाहे उम्र में छोटी हो या बड़ी हो लेकिन हर वर्ष बहिन अपने भाई की कलाई में रक्षा सूत्र बाँध ही देती है और बदले में उसे मिल जाता है अपने भैय्या से कोई प्यार भरा तोहफा। आज भाई सारे बंधनों से आजाद रहना चाहते हैं, परन्तु यह तो प्यार का बंधन है जिसमें हर भाई बंधना चाहता है।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरी विश्वविद्यालय, आनन्दपुरी कालोनी केन्द्र पर सोमवार को रक्षासूत्र सभी ब्रह्मावत्सों को सौंपा जायेगा। यह समस्त जानकारी बी0के0 दिनेश भाई ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी।