सोमवार, दिसम्बर 4, 2023
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मध्यप्रदेश-राजस्थान में कितनी मुश्किल है AAP की सियासत और कृषि मंत्रालय ने 3 साल में लौटाया 44000 करोड़ रुपये का बजट वापस.

लोकसभा चुनावों से पहले RSS की बैठक में क्या फैसले लिए गए, मध्यप्रदेश-राजस्थान में कितनी मुश्किल है AAP की सियासत और कृषि मंत्रालय ने 3 साल में लौटाया 44000 करोड़ रुपये का बजट….

“अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा.” अटल बिहारी वाजपेयी ने 1980 में यानी 43 साल पहले BJP पार्टी की स्थापना के समय ये बात कही थी. शायद उन्होंने यह बात पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए कही होगी. लेकिन किसी ने ये नहीं सोचा होगा कि आने वाले दिनों में वाजपेयी की बातें सही साबित होंगी. लेकिन आज बीजेपी भारत की सबसे बड़ी और लोगों के दिलों पर राज करने वाली राजनीतिक पार्टी है. राजनीतिक तरीके से जब भी BJP की सफलता को देखे तो कहीं ना कहीं RSS का नाम जुड़ जाता है. संघ की ग्राउंड पर मजबूत पकड़  BJP को कही ना कहीं राजनीतिक पार्टियों के टफ मुकाबले को टक्कर देने में फायदेमंद साबित होती है. अब जब देश में एक साल रह गए है लोकसभा चुनाव को तो RSS प्रतिनिधि की हर साल होने वाली सभा की बैठक चर्चा में है. तीन दिन की इस बैठक में संघ के नेताओं के अलावा BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई नेता भी शामिल हुए. लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि ये बैठक कई मायनों में नये फैसले भी ले कर आई है.

आम आदमी पार्टी का चुनावी ऐलान-

AAP की सियासत की बात करते तो देश के दो राज्यों में AAP ने ऐलान किया है कि आने वाले समय में मध्यप्रदेश और राजस्थान के लोकसभा चुनावों में वो सारी सीटों पर चुलाव लड़ेगी. राजस्थान को लेकर लगभग आम आदमी पार्टी की रणनीति पहले ही क्लियर हो चुकी थी, बचा था मध्यप्रदेश जिसके दौरे पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ केजरीवाल साथ पहुंचे थे. इस ऐलान के साथ केजरीवाल ने कल मध्यप्रदेश में वादे भी किए हैं. ये वादे पंजाब, गुजरात जैसे ही हैं. यहाँ भी स्वास्थ्य शिक्षा और बिजली मुफ़्त करने के वादे किए गए हैं. असरदार कितने होंगे ये पता चलने में अभी लंबा वक्त है. लेकिन ये राज्य में दो विकल्पों के अलावा तीसरे विकल्प के तौर पर AAP के होने का राज्य की सियासत में किस तरह का असर दिखेगा.

कृषि मंत्रालय बजट-

भारत कृषि प्रधान देश है, ये सुनते हम बच्चे से बड़े हो गए, कुछ लोग बूढ़े हो गए, कुछ इस दुनिया को अलविदा भी कह गए. लेकिन कृषि की पेशे के तौर में सुधार नहीं हो सकी. देश में आज भी किसानों की आत्महत्या आम खबर है. सारी सरकारें कहती हैं सूरत बदलेगी लेकिन सवाल है, आखिर कितनी बदली है? लोकसभा में पेश संसदीय कमेटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ कृषि और किसान कल्याण विभाग ने पिछले तीन सालों के दौरान अपने बजट का 44 हजार करोड़ रुपये वापस कर दिया, क्योंकि बजट का पूरा यूज नहीं हो सका. रिपोर्ट में आगे कहा गया है, कि 2020-21 में वापस की गई रकम करीब 24 हजार करोड़ थी, 2022-23 में 19 हजार करोड़ रुपये. इस रिपोर्ट में कमेटी ने इसे wrong practice भी कहा है. इसके साथ ही किस तरह से साल दर साल भारत का कृषि बजट घटा है, इसका भी जिक्र किया है.

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