सोमवार, दिसम्बर 4, 2023
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बिना नैट स्पीड के ऑनलाइन शिक्षा बच्चों के लिए मुसीबत बनी

सिकन्दराराऊ (पवन पंडित)।

ऑनलाइन शिक्षा के प्रति लोगों का रुझान जिस प्रकार से बढ़ रहा है वह स्वागत योग्य है। परन्तु क्या बिना नैट स्पीड के इसमें सफलता मिल सकती है, यह विचारणीय प्रश्न है। फोर जी की स्पीड का दावा करने वाली कम्पनियां टू-जी की स्पीड देने में अपने को असहाय मान रही हैं।
यह हाल है बच्चों का कि वे मोवाइल लेकर घरों के इधर उधर चक्कर लगा कर यह देख रहे हैं कि घर व छत के किस हिस्से में नैट की स्पीड सही प्रकार से मिल सके। दूसरी ओर से आॅन-लाइन क्लास लेने वाले शिक्षक शिक्षिकायें भी बार बार नैट कनैक्शन कटने से बच्चों को नहीं पढ़ा पा रहे। इन्ही समस्याओं को ध्यान में रखते हुये कुछ शिक्षिकाओं व छात्र छात्राओं की माताओं से बात की क्या कहती हैं वह आइये जानिये –

आर्य कन्या इंटर काॅलेज की प्रधानाचार्या श्रीमती वन्दना सक्सैना कहती हैं कि –

ये सच है कि ऑन लाइन पढ़ाई होनी चाहिए लेकिन यह तभी सफल है जब नेट की स्पीड सही हो। सिकंदराराऊ छोटा कस्वा है यहां मोबाइल डेटा की स्पीड रुलाने वाली होती है चाहे वो किसी भी कंपनी का हो। सबके घर मे वाई फाई है नहीं ऐसी स्थिति में छात्राओं से नेट के द्वारा संपर्क साधने बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। फिर भी जितना संभव हो रहा है सरकार के आदेशानुसार आर्यकन्या इंटर कालेज की टीचर्स अपनी अपनी क्लासों के ग्रुप्स बनाकर छात्राओं को विषय ज्ञान कराने के उद्देश्य से घर बैठकर मोबाइल के जरिए वर्चुअल क्लास ले रही हैं और मैं अपने मोबाइल पर सबकी रिपोर्ट ले रही हूँ।

अध्यापिका प्रियंका उपाध्याय का मानना है कि –

वैश्विक महामारी कोरोना ने लोगों के जीवन की शैली में परिवर्तन कर डाला है , जो लोग अपनी भागम भाग जिन्दगी में कभी रूकने का नाम नहीं लेते थे वह अब एक शुकून भरी शान्ति के मालिक बन गये हैं , जिन लोगों के पास अपने परिवार के साथ बिताने के लिए एक घण्टा नहीं हुआ करता था अब वह सभी पूरा दिन बिता रहे हंै। लेकिन इन सब के बीच बच्चों की शैक्षिक जीवन शैली भी बदली है जहां कापी किताब की जगह एंड्राइड मोबाइल फोन ने ले ली है और ई क्लास पैटर्न प्रारम्भ हो गया है , सरकारों ने ई लर्निंग को बढ़ावा देने के लिए भी कार्य किया है लेकिन मोबाइल के द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से होने वाली पढ़ाई में सबसे बड़ा रोड़ा इस समय इन्टरनेट डाटा की स्पीड है जो कि इस ई लर्निंग कल्चर को सुचारू रूप से सभी छात्रों तक पहुंचा नहीं पा रही है , इन्हीं सभी समस्याओं से हमारे क्षेत्र के छात्र भी जूझ रहे हैं । हां यदि डाटा प्रोवाइडर्स अगर इस को लेकर संजीदा हो जायें तो यह वर्तमान की शिक्षा प्रणाली को बदलने का एक ट्रेनिंग पॉइंट हो सकता हैं ।

गृहणी यशोदा वाष्र्णेय अपने नाती को ऑनलाइन क्लासैज में मदद करती हुई , कहती हैं कि –


स्कूल ने आॅन लाइन क्लासैज शुरू की हैं ये एक अच्छा कदम है लेकिन हमारे जैसे छोटे शहर में नेट की स्पीड तो बहुत कम है एक एक ओडिये और वीडिओ क्लिप आने में इतना समय लगता है कि पीरियेड का पूरा समय ही निकल जाता है । छोटे बच्चे तो आॅन लाइन क्लास समझ ही नहीं पा रहे हैं । यहाँ जब तक नेट की स्पीड सही नहीं होगी तब तक आॅन लाइन क्लासैज का कोई मतलब नहीं हैं ।

मोहल्ला रोशनगंज निवासी गृहणी राधा गुप्ता का कहना है –

शासन ने सभी को जो आदेश दिए थे कि विद्यालय में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हो इसका पालन भी हो रहा है लेकिन जो पिछड़े लोग है उन पर आज भी एंड्रोइड मोबाइल नही है, और मोबाइल है भी तो अच्छे नेटवर्क कि गति नही है। जिससे ऑनलाइन पढ़ाई सुचारू रूप से हो सके ! और इंटरनेट की गति ठीक नही होगी तब तक पढ़ाई सही रूप से नही हो सकती !

मोहल्ला हुरमत गंज निवासी गृहणी गौरी माहेश्वरी का कहना है कि –

विद्यालय ऑनलाइन पढ़ाई कराते है लेकिन घर पर नेटवर्क की गति सही ना आने के कारण बच्चे पढ़ाई सही रूप से नही कर पाते है।

गृहणी दीपिका वाष्र्णेय मानती हैं –

आज भी गांव या छोटी जगह वाले विद्यार्थी नैट स्पीड न होने की बजह से आँनलाइन शिक्षा का प्रयोग नहीं कर पाते हैं। हां कुछ क्षेत्रों मे नैट सही काम कर रहा हैवहाँ बच्चे पढ़ रहे हैं।

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