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निजीकरण पर दोहरी नीति अपना रही कांग्रेस: गोयल

नई दिल्ली, 03 जुलाई (वेबवार्ता)।

रेल तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने रेलवे की सात कंपनियों के निगमीकरण पर विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए बुधवार को कहा कि निजीकरण पर कांग्रेस दोहरी नीति अपना रही है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष तथा वरिष्ठ कांग्रेस नेता सोनिया गाँधी ने मंगलवार को लोकसभा में रायबरेली की मॉडर्न रेल कोच फैक्टरी के निगमीकरण का मुद्दा उठाया था। सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आज प्रश्नकाल में इस मुद्दे पर दुबारा सरकार से जवाब माँगा।

श्री गोयल ने अपने उत्तर में कहा, वर्ष 2004-05 के बजट भाषण में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं तत्कालीन वित्त मंत्री (पी. चिदम्बरम) ने कहा था विनिवेश और निजीकरण उपयोगी आर्थिक उपकरण हैं। वर्ष 2006 में दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डे का निजीकरण कांग्रेस ने किया। यहाँ तक कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के संचालन के लिए 28 मार्च 2013 को कांग्रेस सरकार ने एक निजी कंपनी बनायी थी। वे जीएसटी का पूरा डाटा निजी कंपनी को सौंपना चाहते थे। हमारी सरकार आने के बाद उसे सरकारी कंपनी बनाया गया। स्पष्ट है कि निजीकरण और निगमीकरण पर कांग्रेस की दोहरी नीति रही है।

उनके यह कहने पर कांग्रेस के सदस्य उठकर विरोध करने लगे। उनका कहना था कि श्री चौधरी का प्रश्न रेलवे की कंपनियों के निगमीकरण से संबंधित था जबकि मंत्री उसके अलावा अन्य मुद्दों पर बोल रहे हैं।
इसके बाद श्री गोयल ने कहा कि कांग्रेस ने निगमीकरण नहीं निजीकरण किया था जबकि मोदी सरकार ने निगमीकरण किया है ताकि इन इकाइयों में ज्यादा रोजगार मिल सके, ज्यादा एलएचबी कोच बनाये जा सकें। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय रायबरेली की फैक्टरी में कोच का निर्माण नहीं होता था। निर्माण एकीकृत कोच फैक्टरी, चेन्नई में होता था और रायबरेली में सिर्फ पेंटिंग और स्क्रू लगाने का काम होता था।

रेल मंत्री ने दावा किया कि रायबरेली की फैक्टरी में विनिर्माण काम 2018 से शुरू हुआ है। पिछले साल यहाँ 1,422 कोच बनाये गये जो क्षमता से ज्यादा हैं। द्रविड़ मुनेत्र कषगम की कनिमोझी ने तमिलनाडु में रेलवे प्रिंटिंग प्रेसों के बंद किये जाने के बारे में प्रश्न पूछा। श्री गोयल ने कहा कि डिजिटलीकरण के कारण टिकट छपाई में भारी गिरावट आयी है इसलिए, कई बार तो टिकट से प्राप्त आय से ज्यादा उसकी छपाई का खर्च होता है। यही वजह है कि प्रिंटिंग प्रेस को बंद करने का फैसला किया गया है। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया किसी को नौकरी से नहीं निकाला जायेगा। प्रिंटिंग प्रेस के सभी कर्मचारियों को रेलवे के दूसरे कामों में लगाया जायेगा।

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