अगर सहजन का उपयोग दैनिक आहार में किया जाए तो माँ तथा गर्भ में पल रहे बच्चे का विकास होगा
– डाॅ अवधेश वार्ष्णेय
हाथरस, 11 अक्टूबर 2022।
गर्भवती और बच्चों के पोषण के लिए सहजन यानि ड्रमस्टिक वरदान समान है। इसमें बहुत से लाभकारी गुण होते हैं। सहजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्प्लेक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह कहना है बाल विकास परियोजना अधिकारी धीरेन्द्र उपाध्याय का।
सीडीपीओ बताते हैं कि सहजन खाने से दिमाग का विकास होता है। इसके अलावा खून की कमी भी नहीं होती है। यह काफी आसानी से उपलब्ध है। सहजन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, सर्दी, खांसी, फ्लू आदि से बचाता है, एवं हड्डियाँ भी मजबूत होती हैं। गर्भावस्था, धात्री व बच्चों में कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए सहजन और इसकी पत्तियां बेहद सहायक होती हैं। उन्होंने बताया कि सहजन में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं जो संक्रमण से हमारी रक्षा करते हैं। उन्होंने बताया कि उनके क्षेत्र में करीब 120 पोषण वाटिकाएं हैं। जिनमें से अधिकांश में सहजन लगाया गया है, जिसका लोग इस्तेमाल भी कर रहे हैं।
सहपऊ ब्लॉक की आरबीएसके टीम के चिकित्सा अधिकारी डॉ.अवधेश कुमार वार्ष्णेयने बताया कि गर्भवती व धात्री महिलाओं व कम उम्र के बच्चों को पोषक तत्वों की जरूरत एक सामान्य व्यक्ति से कहीं ज्यादा होती है। इस अवस्था में अगर सहजन का उपयोग दैनिक आहार में किया जाए तो माँ तथा गर्भ में पल रहे बच्चे का विकास होगा। उन्होंने बताया कि जन्म के एक घंटे के अंदर बच्चे को मां का दूध पिलाना शुरू करके छह माह तक केवल मां का दूध देना है। छह माह के बाद बच्चे में शारीरिक विकास की गति को देखते हुए मां का दूध आवश्यक पोषण देने के लिए पर्याप्त नहीं होता, इसलिए बच्चे को धीरे-धीरे ऊपरी आहार की शुरुआत करनी चाहिए। प्रारंभ में बच्चे को अच्छे से मसला हुआ दाल चावल, आलू, खिचड़ी, सूजी की खीर, अच्छे से मसले हुए फल दिये जाने चाहिए और धीरे धीरे भोजन की मात्रा और गरिष्ठता बढ़ाते जाना चाहिए।
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