बुधवार, दिसम्बर 6, 2023
होमराजनीतिकर्नाटक में कांग्रेस की जीत के मायने, कैसे ढहाया BJP का...

कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के मायने, कैसे ढहाया BJP का किला

कैसे जीत गई कांग्रेस, जानें पांच बड़े कारण
कर्नाटक में 2004, 2008 और फिर 2018 में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। 2013 में कांग्रेस ने 122 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी। सूबे में मुख्य लड़ाई लंबे समय से भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रही है। कांग्रेस ने कई बार पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई है, जबकि भाजपा को कभी भी पूर्ण बहुमत नहीं मिला। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ।’
1. भाजपा की अंदरूनी लड़ाई का मिला फायदा : बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद से भाजपा में आंतरिक कलह की स्थिति बनी रही। पार्टी के अंदर ही कई तरह के गुट बन गए। चुनाव के वक्त टिकट बंटवारे से भी कई नेता नाराज हुए और बागी हो गए। इसका फायदा कांग्रेस ने उठाया। कांग्रेस ने भाजपा के बागियों को अपने साथ कर लिया। चुनाव में इसका पार्टी को फायदा भी मिला।

2. आरक्षण का वादा दे गया फायदा : ये भी एक बड़ा कारण है। कर्नाटक चुनाव में भाजपा ने चार प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण खत्म करके लिंगायत और अन्य वर्ग में बांट दिया। पार्टी को इससे फायदे की उम्मीद थी, लेकिन ऐन वक्त में कांग्रेस ने बड़ा पासा फेंक दिया। कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में आरक्षण का दायरा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 फीसदी करने का एलान कर दिया। आरक्षण के वादे ने कांग्रेस को बड़ा फायदा पहुंचाया। लिंकायत वोटर्स से लेकर ओबीसी और दलित वोटर्स तक ने कांग्रेस का साथ दिया। वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस ने ये भी वादा कर दिया कि जो चार प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण भाजपा ने खत्म किया है, उसे फिर से शुरू कर दिया जाएगा। इसके चलते एक तरफ जहां कांग्रेस को मुसलमानों का साथ मिला, वहीं 75 प्रतिशत आरक्षण के वादे ने लिंगायत, दलित और ओबीसी वोटर्स को भी पार्टी से जोड़ दिया।

3. खरगे का अध्यक्ष बनना : ये भावनात्मक तौर पर कांग्रेस को फायदा दे गया। कांग्रेस ने चुनाव से पहले मल्लिकार्जुन खरगे को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया। खरगे कर्नाटक के दलित समुदाय से आते हैं। ऐसे में कांग्रेस ने खरगे के जरिए भावनात्मक तौर पर कर्नाटक के लोगों को पार्टी से जोड़ दिया। दलित वोटर्स के बीच भी इसका अच्छा संदेश गया। खरगे ने चुनावी रैलियों से इसका जिक्र किया।

4. राहुल गांधी की यात्रा : राहुल गांधी ने कन्याकुमारी से जम्मू कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा निकाली थी। इस यात्रा का सबसे ज्यादा समय कर्नाटक में ही बीता। ये राहुल गांधी की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा रहा। इस यात्रा के जरिए राहुल ने कर्नाटक में कांग्रेस को मजबूत किया। अंदरूनी लड़ाइयों को खत्म किया। सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार को एकसाथ लेकर आए और इसका फायदा अब चुनाव में देखने को मिल रहा है।

5. भाजपा के मुद्दों पर कांग्रेस के मुद्दे भारी पड़े : कर्नाटक में कांग्रेस ने कई मुद्दों पर भाजपा को पीछे छोड़ दिया। फिर वह भ्रष्टाचार का मुद्दा हो या ध्रुवीकरण का। बजरंग दल पर बैन की बात करके मुस्लिम वोटों को अपने पाले में कर लिया। वहीं, 75 प्रतिशत के आरक्षण का दांव चलकर भाजपा के हिंदुत्व के कार्ड को फेल कर दिया। दलित, ओबीसी, लिंगायत वोटर्स को अपने पाले में करने में कामयाबी हासिल की।
कांग्रेस के लिए जीत के क्या मायने हैं? 
कांग्रेस पिछले एक दशक से राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रही है। 2014 के बाद से अब तक 50 से ज्यादा चुनावों में कांग्रेस को हार मिली है। कुछ चुनिंदा राज्य ही ऐसे हैं, जहां कांग्रेस ने जीत हासिल की है। पिछले छह महीने के अंदर ये कांग्रेस की दूसरी बड़ी जीत है। अगर ये कहें कि डूबती कांग्रेस को पहले हिमाचल प्रदेश और फिर कर्नाटक में जीत का सहारा मिला तो गलत नहीं होगा। इससे कांग्रेस को नैतिक आधार पर मजबूती मिलेगी। कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं में नई ऊर्जा आएगी। आने वाले जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, उनमें से दो की सत्ता कांग्रेस के पास है। ऐसे में कांग्रेस इन दोनों राज्यों को भी बरकरार रखने की कोशिश करेगी।
RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

MichaelPem on Blog Post Title
MichaelPem on Blog Post Title
MichaelPem on Blog Post Title
1xbet bonuses when registering with a promo on Blog Post Title
ScottCig on Blog Post Title
AaronMet on Blog Post Title
AaronMet on Blog Post Title
AaronMet on Blog Post Title
Grahamjoits on Blog Post Title